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Swami Vivekananda Quotes in Hindi: स्वामी विवेकानंद जी के महान विचार
स्वामी विवेकानंद जी द्वारा बोली गई बातें आज युवाओं को प्रेरणा देती है कुछ कर दिखाने के लिए तो आज मैं आपके लिए Swami Vivekananda quotes in hindi लेकर आया हूं। स्वामी विवेकानंद जी बहुत पहले से ही युवाओं के लिए सबसे बड़े प्रेरणा रहे हैं उनके द्वारा बोली गई विचार मानव समाज को राह दिखाती है एवं भटके हुए नौजवानों को उनकी मंजिल तक पहुँचती है:-
स्वामी विवेकानंद द्वारा कही गई सारे संदेश एवं विचारो का उद्देश्य भटके हुए लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का है इसलिए आज भी लो इंटरनेट पर सबसे ज्यादा स्वामी विवेकानंद जी की Suvichar of Swami Vivekananda सर्च करते हैं।
Swami Vivekananda Quotes Hindi
“भरोसा भगवान पर है तो जो लिखा है तक़दीर में वही पाओगे भरोसा खुद पर है तो भगवान वही लिखेगा जो आप चाहोगे” ― Swami Vivekananda
“अपने आप में भरोसा रखें एक दिन पूरा विश्व आपके कदमों में होगा” ― Swami Vivekananda
“उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए”― Swami Vivekananda
“तुम परिश्रम करके स्वर्ग के ज्यादा नजदीक होगे बजाए गीता के अध्ययन करने के”― Swami Vivekananda
“जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते हैं तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते”― Swami Vivekananda
“जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी”― Swami Vivekananda
“ज्ञान स्वयं में वर्तमान है मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है” ― Swami Vivekananda
“एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ” ― Swami Vivekananda
“लक्ष्य के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह गिरो ताकि एक बीज की तरह दोबारा उठकर उस जंग के लिए लड़ सको” ― Swami Vivekananda
“जब तक जीना तब तक सीखना अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा है”― Swami Vivekananda
“खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है”―Swami Vivekananda
“आप ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं कर पाएंगे जब तक आप अपने आप में विश्वास नहीं करते।” ― स्वामी विवेकानंद
“तुम परिश्रम करके स्वर्ग के ज्यादा नजदीक हो गे, बजाय गीता के अध्ययन करके।” ― Swami Vivekananda
“अध्यात्मिक मार्ग में मनुष्य का सच्ची शिक्षक केवल और केवल उसकी आत्मा होती हैं।” ― Swami Vivekananda
दोस्तों आपने स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी तो हर बार कहीं न कहीं पर पढ़ी होगी इसलिए मैं आपको फिर से उनकी जीवनी नहीं बताने वाला हूं स्वामी विवेकानंद जी एक महान ज्ञानी व्यक्ति थे फिर भी दोस्तों अगर आपको उनकी जीवनी जाननी है तो आप यह लिंक पर क्लिक कर सकते हैं .
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कुछ रोचक तथ्य Swami Vivekananda जी के बारे में –
स्वामी विवेकानंद जी दुनिया की नजर में एक सन्यासी थे लेकिन वह भारत को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा तत्पर रहें उन्होंने भारत के सभ्यता को देश-विदेश में पहुंचाया इसलिए स्वामी विवेकानंद जी के विदेश में भी बहुत अच्छे मित्र थेस्वामी विवेकानंद जी को विदेश में भी बहुत प्रसिद्धि मिली स्वामी विवेकानंद जी ने वेदों के ज्ञान को लोगों के समझने लायक बनाया और उसे आसान भाषा में पूरे विश्व में फैलाया।
स्वामी विवेकानंद जी को कहा जाता है कि वह दूर दृष्टि थे उन्हें पता था कि भविष्य में क्या होने वाला है स्वामी विवेकानंद जी ने कई बुक लिखी जिनमें सबसे प्रसिद्ध बुक कर्म योग ,भक्ति योग, राज योग और जनन योग है।
Swami Vivekananda के जीवन से सीखने योग्य बातें –
1.निडर रहो
स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही निडर बालक थे उनके घर के पास एक आम का पेड़ था जिसके आम बहुत ही स्वादिष्ट थे कुछ समय बाद वह पेड़ को लेकर अफवाह फैला दी गई कि वह पेड़ में भूत रहता है जिससे बच्चे वहां पर जाने से डरने लगे लेकिन स्वामी विवेकानंद जी ने लोगों के बात में नहीं आए और वह खुद जाकर पूरी रात भूत का इंतजार किये।
लेकिन भूत का वहां पर नामोनिशान नहीं था इससे साबित होता है कि स्वामी विवेकानंद जी आसानी से लोगों के बातों पर नहीं आते थे वह खुद ही अपने आंखों से निरीक्षण करते थे हमें जीवन में आसानी से लोगों के बातों पर नहीं आना चाहिए इससे हमारी जिंदगी और कठिन युक्त होगी विवेकानंद जी का मानना था कि डर इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है जो इंसान को आगे बढ़ने से रोकता है।
2. खुद पर विश्वास करो
स्वामी विवेकानंद जी का अपने जीवन में एकमात्र मकसद था अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस से मिले हुए ज्ञान को पूरे दुनिया में फैलाना है वह अपने लक्ष्य पर अटल रहे और उन्होंने रामकृष्ण परमहंस से लिए हुए ज्ञान को पुरे दुनिया में भारत की संस्कृति को अमर किया स्वामी विवेकानंद जी 1893 साल में शिकागो गए और विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लिया और उन्होंने वहां पर जाकर भारत के लिए कुछ कथन कहे जो आज भी लोकप्रिय है स्वामी जी के शब्द विदेशियों के हृदय में ऐसा लगा कि वह भारत के लिए अपना पुराना विचार छोड़कर भारत को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रों में जानने लगे।
स्वामी विवेकानंद जी की जीवन काल में हुई कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं जो हमें सीख देती है
विवेकानंद जी जब भारत की ओर से भाषण देने के लिए विदेश जा रहे थे तो वह अपने गुरु को भी लेकर जाना चाहते थे लेकिन उस समय उनके गुरु की मृत्यु हो चुकी थी इसके चलते स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरु की पत्नी अर्थात उनके गुरु माता से आशीर्वाद लेने के लिए आश्रम पहुंचे
और आश्रम पहुंचकर विवेकानंद जी ने गुरु माता से कहा हे मां मुझे आशीर्वाद दीजिए ताकि मैं भारत का नाम पूरे विश्व मैं फैला सकूं ,तभी गुरु माता ने उनसे कहा मैं तुम्हें परखना चाहती हूं और गुरु माता ने विवेकानंद जी से कहा कि तुम कल सुबह आना विवेकानंद जी को यह बात थोड़ी अजीत लगी।
गुरु माता के कहे हुए वचनों का पालन करते हुए विवेकानंद जी सुबह-सुबह माता के दर्शन एवं आशीर्वाद लेने पहुंचे तभी गुरु माता रसोई में खाना पका रही थी जब विवेकानंद जी ने माता को आवाज लगाई तो माता ने उन्हें रसोई की ओर बुलाया और कहा तुम एक चाकू लेकर आओ विवेकानंद जी ने पास पड़ी हुई सब्जी काटने की चाकू माता को दे दिया और माता ने कहा पुत्र मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूं कि तुम अपने काम में सफल हो जाओ।
यह बात से विवेकानंद जी को बड़ी ही दुविधा कोई और उन्होंने माता के पूजा की माता आपने मुझे अचानक से चाकू देने पर कैसे आशीर्वाद दे दिया तो माता ने कहा कि पुत्र विवेकानंद तुम चाकू धार की ओर से भी दे सकते थे लेकिन तुमने मुझे चाकू पकड़ने की ओर से दिया इससे साबित होता है कि तुम कितने बुद्धिजीवी हो।
संस्कृति वस्त्रों में नहीं चरित्र के विकास पर है
एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी विदेश गए थे तो स्वामी विवेकानंद जी का पगड़ी और पोशाक देखकर कुछ लोग उनसे कहने लगे कि आपका बाकी सामान कहां है तो स्वामी विवेकानंद जी ने कहा कि बस यही सामान है तब विदेशी उनसे कहने लगे अरे यह कैसी संस्कृति है। आपकी तन पर केवल एक चादर लपेट रखी है कोट ,जैकेट जैसा कुछ नहीं पहना है।
इस पर स्वामी विवेकानंद जी मन ही मन मुस्कुराय और बोले हमारी संस्कृति आप से अलग है आपके संस्कृति का निर्माण आपके दरजी करते हैं जबकि हमारा संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है।
अपनी मातृभूमि (मां) का सम्मान करो
एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी विदेश गए थे जहां उनके स्वागत के लिए बहुत लोग आए हुए थे उन लोगों ने स्वामी विवेकानंद से हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया और अंग्रेजी में HELLO कहा जिस के जवाब में स्वामी जी ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते कहा।
उन लोगों को लगा शायद स्वामी जी को अंग्रेजी नहीं आती तो उन लोगों में से एक ने हिंदी में पूछा आप कहते हैं तब स्वामी जी ने कहा I am fine thank you . उन लोगों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ उन्होंने स्वामी जी से पूछा कि जब हमने आपसे इंग्लिश में बात की तो आपने हिंदी में उत्तर दिया जब हमने आपसे हिंदी में पूछा तो आपने इंग्लिश में उत्तर दिया क्यों।
विवेकानंद जी ने कहा जब आप अपनी मां का सम्मान कर रहे थे तब मैंने मेरी मां का सम्मान किया जब आपने मेरी मां का सम्मान किया तब मैंने आपकी मां का सम्मान किया।
सच्चा पुरुषार्थ
एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद जी के समीप आकर उनसे कहने लगी कि मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं तब स्वामी विवेकानंद जी ने उनसे कहा कि मैं तो सन्यासी हूं आप मुझसे विवाह क्यों करना चाहती हो तो उस विदेशी महिला ने स्वामी जी से कहा कि मैं आपके जैसे तेजस्वी पुत्र चाहती हूं और हमारा पुत्र विवाह से संभव होगा।
विवेकानंद जी बोले हमारी शादी तो संभव नहीं है परंतु हां एक उपाय है महिला बोली वो क्या विवेकानंद ने कहा आज से ही मैं आपका पुत्र बन जाता हु आज से आप मेरी माँ बन जाओ आपको मेरे रूप में मेरे जैसा बेटा मिल जायगा महिला विवेकानंद के चरणों में गिर गई और बोली आप सक्छात ईश्वर का रूप है।
मां से बढ़कर कोई नहीं
स्वामी विवेकानंद से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया कि मां की महिमा संसार में किस कारण से गाई जाती है मुझे इस सवाल का प्रश्न चाहिए महाराज तभी स्वामी विवेकानंद जी ने उस जिज्ञासु से कहा कि तुम 5 किलो का पत्थर लाओ जिज्ञासु ने ऐसा किया।
और स्वामी जी के सामने 5 किलो का पत्थर लाया तभी स्वामी जी ने उनसे कहा कि यह पत्थर को एक कपड़े में बांधकर आज के दिन तुम अपनी पीठ पर लगा लो और मुझे कल सुबह मिलना जिज्ञासु ने ऐसा ही किया और उसने पूरे दिन वह पत्थर से लदे होने के कारण काफी परेशानियों का सामना किया।
और अपने सारे काम किए दूसरे दिन जब विवेकानंद जी से वे जिज्ञासु मिले तो कहने लगे महाराज मैं एक प्रश्न के लिए इतना कठिन परिश्रम नहीं कर सकता तो विवेकानंद जी मुस्कुराए और कहने लगे तुम कुछ घंटे ही यह वजन सह नहीं पाए सोचो तुम्हारी मां तो तुम्हें 9 महीने तक अपने गर्भ में धारण किए हुए थी यह जवाब सुनकर जिज्ञासु के आंख में आंसू आ गए।
स्वामी विवेकानंद पर महात्मा गांधी जी के विचार
जब महात्मा गांधी जी ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को गहराई से अध्ययन किया और समझा तो उन्होंने कहा कि मैंने स्वामी विवेकानंद जी के बारे में एवं उनके विचारों के बारे में संपूर्ण अध्ययन किया और इससे मेरे भारत देश के प्रति राष्ट्रीय सम्मान 1000 गुना बढ़ चुका है।
आज बड़े बड़े शहरों में एयर कंडीशन मॉल में बैठकर फास्ट फूड खाते हुए कॉफी पीते हुए महंगी गाड़ियों में घूमते हुए और आलीशान मॉल में शॉपिंग करते हुए आप कभी उस दौर की कल्पना भी नहीं कर सकते जब भारत में हमारे ही पूर्वज अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों से कुचले जा रहे थे।
देश केवल विदेशी ताकतों का गुलाम नहीं था यह सामाजिक बुराइयों का भी गुलाम था हमारे देश में छुआछूत फैली हुई थी। लोग जाति और धर्म के नाम पर लड़ते थे महिलाओं की स्थिति दयनीय थी भारत का पूरा समाज बिखरा हुआ था टुकड़ों – टुकड़ों में ऐसे समय में स्वामी विवेकानंद ने भारत के युवाओं में आत्मविश्वास भरा।
आप जरा विचार कीजिए कि आज से 130 वर्ष पहले जब दुनिया भारत को सपेरों एवं जादूगरों का देश कहां करती थी भारत के लोगों का कोई सम्मान नहीं था उस बुरे दौर में भी अगर स्वामी विवेकानंद पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकते हैं तो आज के दौर में भारत के लोग ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
बल्कि हम तो यह कहेंगे कि आज के दौर में भारत के लोग क्या क्या नहीं कर सकते आज भारत एक विकासशील देश है दुनिया की बहुत बड़ी शक्ति है। आज युवा पीढ़ी को इनोवेशन और नए आइडिया की जरूरत है बेरोजगारी आज देश की सबसे बड़ी समस्या में से एक है देश के युवाओं को विवेकानंद के विचारों से बहुत शक्ति मिल सकती है।
4 जुलाई 1992 में स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हुई 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद महासमाधि में लीन हो गए वैसे महापुरुषों की कभी मृत्यु नहीं होती क्योंकि उनके विचार कभी नहीं मरते उनके विचार हमेशा जीवित रहते हैं।
Final Words:-
दोस्तों अगर आपको यह पोस्ट स्वामी विवेकानंद जी के महान विचार अच्छा लगा तो आप इसे अधिक से अधिक शेयर करें और कमेंट करके हमें जरूर बताएं कि आपको यह पोस्ट कैसा लगा अपना कीमती समय देने के लिए आपका धन्यवाद.
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